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जीतने का जज्बा
जब सपने सजा ही लिए तो अब डर किस बात कारास्ते पर चलते रहो बसमत ढूंढ मंजिल मुकाम कातू चलता रहे यूं ही, छोड़ दे सबकी परवाहमत कर वक्त जाया इस सोच में,
Zindgi – Tera Sukriya
Hn hogi aapki jindgi me bhi bhaut pareshaniyaa.. Kiiske life me ni hai..? Amir se garib, bachee se budhee, sabko to hai pareshani... Magar zindgi na sabko sikha deti hai , Zindgi sikha deti hai,
खजाने का पिटारा!
कविता में बचपन की मिस्टी और खुशियों भरी यादों को जीवंत करने का प्रयास किया गया है। यह कविता व्यक्ति के दिल में बचपन के सुंदर पलों के रुख़ को जगाने के रूप में है, जो उन्होंने खो दिए हैं,
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