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कुछ यादें सफ़र की
एक पल का ही सफर था हमारा जिसकी कोई मंजिल न थी, बस यादों का सहारा थाउसमे भी आधा हिस्सा पराया था...... कुछ अधूरे से सपने थेकुछ बिखरे हुए ख्वाब, कुछ मीठी सी यादें , और टूटे हुए 'आप'..... श्याही न थी कलम...
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