उम्र हो यदि खेल खिलौनों की
जाकर खेल खिलौने खेलो
इन हालातो से ना खेलो
इन जज्बातों से ना खेलो
उम्मीदों का वैसे ही सोध
प्रबल
तानो का वैसे ही जोर
अबर
वसुधा पे फैले जैसे
सूर्य किरण
वैसे यादों का होता तेज
भ्रमण
जान कर हर बातों को
अनजान बनकर ना बोलो
उम्र हो यदि…
राहों के कंकड़ टेक
में हैं
शंकाए अपनी वेग
में हैं
सबका अलग अलग
प्रमेय
मेरा न जान सके
वो ध्येय
और चाल जानती हो
फिर भी व्योम की ओर बढ़ो
उम्र हो यदि…
धाराओं की एक चुभन
निहार रहा जो शून्य गगन
प्रश्नों से खिलखिल होता मन
हाल तो जाने अन्तःकण
पल पल का क्यूं ये द्वंद युद्ध
बस अपनी जीत स्वीकार करो
मैं हारा कैसे हारा इसका
कोई प्रमाण तो दो
बाकी
उम्र हो यदि…
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