वृक्ष सूखा ही सही, खडा तो था

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3rd July 2024 | 6 Views | 0 Likes

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शीर्षक- वृक्ष सूखा ही सही, खडा तो था

 

गर्मी की तपती धूप में

रेत के भारी कूप में

अटल सन्यासी के रूप में

इक वृक्ष सूखा ही सही, खडा तो था II

जब पेड के नज़दीक पहुंचा

कुछ डर की सी आवाज़ आई

देखा तो पाया ये मैने

फूटी वृक्ष के दृग से रूलाई II

पूछने पर सुबकता सा

इकहरे बदन मे दुबकता सा

बोला बरसों के बाद मैं ही हूं,

जो पहुंचा था उसके पास II

लोगों का छांव में महफिल जमाना

और उसका ही गुणगान गाना

तब गर्व से सीना फुलाए

उसे असंख्य जन तृप्त कराये II

जाने कितने ही तूफान अंधड

आए और आकर चले गए

निर्लोभ जनसेवक ये तब भी

डटा रहा परमार्थ के लिए II

है आज भी तैयार वो

लो काम जो भी आ सके वो

क्या भूलना ही उसका तोहफा

ताउम्र सेवा को जिया जो II

पहचान दे मेहनत को उसकी

कर्तव्य अपना हम भी निभाएं

जिस अमिट याद का हक़दार है

आओ सब मिलकर दिलाएं II

क्योंकि विपरीत परिस्थिति में भी

वो ही पर सेवा के लिए लड़ा तो था

ये वही वृक्ष है जो सूखा ही सही

हमारे लिए अभी भी वहीं खड़ा तो था II

                दीपक शर्मा

DEEPAK SHARMA

@deepaksharma

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