नारी है ममता की मूरत,
प्रेम से भरती हर सूरत।
दिल में सागर-सा विस्तार,
फिर भी सहती हर प्रहार।
त्याग में हँसती, दर्द छुपाती,
अपने आँसू खुद सुखाती।
बेटी, बहन, माँ का रूप,
हर रिश्ते में स्नेह अनूप।
न झुकेगी, न रुकेगी,
अब नारी हर जंग लड़ेगी।
प्रेम भी दे, हक भी पाए,
नारी अब खुद को पहचान जाए!
शब्दों से नहीं, कर्मों से पहचानी जाती,
सपनों को पूरा करने की सौगंध उठाती।
अबला नहीं, सबला है वो,
हर अंधेरे में ज्वाला है वो।
नारी तू बस नाम नहीं,
हिम्मत और विश्वास है।
तेरी उड़ान से रोशन जग,
तू खुद में एक इतिहास है।
जो समझे तुझको कमजोर,
उनको अब दिखलाना है।
तेरी शक्ति, तेरी मेहनत,
इस दुनिया को समझाना है।
सपनों को अब पंख दे,
अपने हौसलों को रंग दे।
रुके नहीं, थमे नहीं,
कभी किसी से डरे नहीं।
उठ, बढ़, खुद को पहचान,
तेरे दम से ऊँचा आसमान!
तेरी उड़ान, तेरा ग़ुरूर,
नारी तू है जग की नूर!
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