ऐ गुजरते लम्हें, मेरा पैग़ाम दे उस बीते हुए पल को,
अच्छा या बुरा मुस्कुराके स्वागत करेंगे हम आने वाले कल को।
जो दुःख का दरिया था आंखों से पानी बनके बह गया,
और सुख का नशा बनके मुस्कान मेरे होठों पे रह गया।।
जीते हैं सब यहां ऐसे की जैसे कुछ जिया ही नहीं,
करके गलतियां रहते है चुप जैसे कुछ किया ही नहीं।
माना आईना देखते हो सिर्फ़ सजने संवरने के लिए,
कुछ वक्त ख़ुद को दो खुद से बातें करने के लिए।
मेरे अल्फाज़ पढ़के यूं ही भुला ना देना,
इतना ध्यान रखना किसी को रुला ना देना।।
ये जिंदगी का पहिया ना जाने कब थम जायेगा,
वक्त हैं हंसले वरना फ़ोटो एल्बम में मुकुराएगा।।
इस जिंदगी के रंगमंच में अपना क़िरदार ऐसा निभाना,
तालियों से गूंज उठे महफ़िल और याद करे तुझे ज़माना।।
– सागर गुप्ता
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