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इंतज़ार

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बहुत इंतज़ार करवा दिया, अब तो दस्तक दे जा,
अँधेरे पालों  की इन परछाइयों को अपने उजाले से जगमगा जा,
तेरा आना उस जाने वाले की यांदों  को सवारेगा,
नाम पड़ी इन आँखों में खुशियों के मोती बिखरायेगा,
की चलकर कही एक खुशियों का घर बनाएँगे,
काँटों भरी इन राहों पे गुलाब के फूल सजाएँगे। 



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