अपने अधूरे वादी याद करती होगी
मेरा साथ गुजरा वो पल याद करती होगी
लाख मशरूम हो सही
फुरसत में मेरे नाम की तस्बी पढ़ती होगी
रखा था अवल उसको दी तारजी हर चीज़ पर
अब कौन होगा जो देगा मुझसा अहमियत उसको
जमाना बड़ा चालाक है
मेरा यार तेहरी मासूम खुद कर दगी अपना नुक्सान
कोई हमें समझा तेहरे हम मासूम
गलतिया अपना यार की ना देखी
इल्ज़ाम ददिया सारा ज़माना को
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