श्मनंदन द्वारा
ब्रिस्टल. पृथ्वी का अंत: पिछले 500 मिलियन वर्षों में, हमारे ग्रह ने कुल पांच बड़े पैमाने पर विलुप्त होने का अनुभव किया है। इनमें से, पृथ्वी पर लगभग 90 प्रतिशत प्रजातियाँ पर्मियन-ट्राइसिक विलुप्त होने की घटना के दौरान नष्ट हो गईं।
इनमें से अधिकांश घटनाएँ एक “सुपरकॉन्टिनेन्ट” के निर्माण के साथ मेल खाती हैं जहाँ पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटें धीरे-धीरे एकत्रित और विलीन हो जाती हैं।
सुपरकॉन्टिनेंट ‘पैंजिया अल्टिमा’ फिर से बनेगा
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी के महाद्वीप अगले 250 मिलियन वर्षों में एक साथ आकर एक “सुपरकॉन्टिनेन्ट” का निर्माण करेंगे जिसे “पैंजिया अल्टिमा” कहा जाएगा। इसकी सघनता भूमध्य रेखा के निकट होगी तथा यह एक गर्म महाद्वीप होगा।
इंग्लैंड में लीड्स विश्वविद्यालय और अमेरिका में नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय के कई सहयोगियों के एक अध्ययन के अनुसार, “पैंजिया अल्टिमा” की स्थितियाँ अधिकांश स्तनधारियों के अस्तित्व के लिए प्रतिकूल रही होंगी।
सौर विकिरण विनाशकारी होगा
इस “सुपरकॉन्टिनेंट” के बनने से अधिक ज्वालामुखीय गतिविधि होगी और बूढ़ा सूर्य पृथ्वी पर अधिक विकिरण भेजेगा।
इसके परिणामस्वरूप अत्यधिक सतही तापमान होगा, जिससे महाद्वीप का अधिकांश भाग एक विशाल, गर्म रेगिस्तान में बदल जाएगा, जो विज्ञान-कथा महाकाव्य ड्यून के रेगिस्तानी ग्रह ‘अराकिस’ की याद दिलाता है।
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