“याद”
उनको मत कर तू यहां पर याद
जो करते,तेरी जिंदगी को बर्बाद
रब से कर तू यहां पर फरियाद
वो ही तेरी जिंदगी करेंगे आबाद
रब की याद,में समाया ऐसा नाद
मूर्छित भी कर उठते है,सिंहनाद
पिंजरे से कर तू खुद को आजाद
हर रिश्ते में यहां स्वार्थ का संवाद
बिना स्वार्थ कोई न करे,किसे याद
सब तम तीली से जला रहे,दीप आज
ईश्वर को समर्पित कर,जीवन जहाज
भगवान को निःस्वार्थता से कर याद
वो याद मुरझाए फूलों में करती,आह्लाद
बाकी माता-पिता को भी उसकी औलाद
वृद्धाश्रम रूपी जेल में भेज रही है,आज
उन आईनों पर मौन पत्थर से कर वाद
जो तेरी छवि के साथ कर रहे,खिलवाड़
बगुले जैसी सफेदी का कर दे तू,त्याग
खुद की खुदी में मस्त रह साखी बेबाक
यहां साये भी बिना मतलब न चले साथ
खुद के सिवा किसी को मत कर तू याद
परमात्मा से जरूर करता रह,भीतर संवाद
क्योंकि सूर्य रोशनी बिन न मिटे,तम रात
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-“साखी”
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