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ये मेरी खुद की कविता है। मेरी कविता देश की हार एक मां पर समर्पित हैं।
भारत माता सुन तेरी पुकार,
जब जब तू पुकारेगी अपनी रक्षा को,
मैं दूंगी सपूत हजार ,
तेरी रक्षा करने को,
ये है, एक मां का वचन।
जब जब तुझपे कोई विपदा आयेगी,
जब जब तू खतरे में पड़ेगी,
तब तब हर हिंदुस्तानी मां कहेगी,
देती हूं तुझको मैं अपनें खून का हर एक कतरा,
ये है एक मां का वचन।
भारत माता जब जब तू कुर्बानी मांगेगी,
अपना कर्ज मांगेगी,
तब तब हर एक मां खुशी खुशी,
चुकाएगी अपना दूध का का कर्ज ,
ये है एक मां का वचन।
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