दो पल लेकर मैंने जिंदगी से पूछा,
क्यों तू मुझे इस मोड़ पर ले आई,
क्यों तू इस रस्ते पर इतने कष्ट लाई,
ये मुश्किलें हैं अन
सही सी,
जिंदगी की बातें कुछ अनकही सी ।
दुबारा पूछा मैंने ज़िंदगी से,
किया तो बहुत कुछ है तूने,
मुझे हसाया है तूने,
अपनी गोद में खिलाया भी है तूने,
फिर ना जाने क्यों रुलाती हो,
क्यों बार बार कठिनाईयों में फसाती हो,
तेरी मनमानी है अनसही सी,
जिंदगी की बातें कुछ अनकही सी ।
आखों मे सच दिखाई दिया,
मन ही मन सुनाई दिया,
मैं मुस्कुराकर तुम्हे हंसना सिखा रही हूं,
दूसरों को हंसाना सिखा रही हूं,
परिस्थितियों से जीतना सिखा रही हूं,
मैं तो तेरी दोस्त हूं पगले,
बस तुम्हें जीना सिखा रही हूं ।
Comments