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लोक आस्था का महापर्व छठ और हम बिहारी – स्वदेश सुमन
लोक आस्था का महापर्व छठ और हम बिहारी स्वदेश सुमन की मार्मिक रचना
किसानी
चकाचौंध के दौर में भुला दिए गए साधारण किसानों के हाल को छूने की कोशिश है ये कविता किसानी। यूवा कवि स्वदेश सुमन की संवेदना को प्रोत्साहन दें।
मातृभाषा हिंदी की महिमा
हिंदी प्रेमियों को मातृभाषा से जोड़ने का एक साधारण प्रयास । हिंदी की महिमा कविता मेरे दिल की कलम है। आशा है मेरी कलम आप के दिल तक जरूर पहुंचेगी। आपका स्वदेश सुमन
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