छोटी सी ही उम्र में घर से चले हम आते है,
मां बाप को अकेला छोड़कर,
इस दिल को भी समझाते है,
तब फौजी हम कहलाते है,
हां फौजी हम कहलाते है,
किताबों को किनारे रखकर,
राष्ट्रहित की तरफ बढ़ जाते है,
घर की फ़िक्र हम छोड़ कर,
पहले अपना फ़र्ज़ निभाते है,
तब फौजी हम कहलाते है,
हां फौजी हम कहलाते है,
सब धर्म कर्म को छोड़ कर,
बस सैनिक धर्म निभाते है,
लोगों के घर बचाते हुए ,
हमारे खुद के बिखर से जाते है,
तब फौजी हम कहलाते है,
हां फौजी हम कहलाते है।
#तीक्ष्ण
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