धरती दुल्हन बन जाती है

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    14th December 2024 | 4 Views | 0 Likes

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    खोल के बाहें अम्बर , जब पानी बरसाता है

    घनघोर घटाए लेकर , जब आसमान आता है

    मानो जुल्फ धरा की , खुल के हवा मे लहराती है

    हर्षाता कोना कोना , धरती दुल्हन बन जाती है

    इंद्रधनुष मनभावक , जैसे ताज़ हो पहना कोई

    हर पाषाण धुला पर्वत का , मानो हीरो का गहना कोई

    श्रंखला पर्वत वाली , टीका बन जाती है

    चोटी तक फैली हरयाली , मस्तक खूब सजाती है

    दुल्हन बन जाती है , धरती दुल्हन बन जाती है

    कोलाहल करते झरने , शगुन के गीत सुनाते है

    मृदंग करते मोर , मस्ती मन मे जगाते है

    कोयल की मीठी बोली , शहनाई बजाती है

    गिरती बूंदो के संग , धरती झूम के गाती है

    दुल्हन बन जाती है , धरती दुल्हन बन जाती है

    मोती सी  लगती है , पत्तों पे ठहरी बुँदे

    बूंदो के हवाले करती है , धरा खुद को आंखे मुंदे

    फूलो की बिखरी चादर , आँचल बन जाती है

    सागर से टकराती नदिया , जैसे चुड़ी खनकाती है

    दुल्हन बन जाती है

    धरती दुल्हन बन जाती है

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