एक शाम

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    18th November 2024 | 8 Views | 0 Likes

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    बहुत ठंड चाय हाथ में गरम

    उसकी यादें नरम नरम…..

    सोचा कॉल करूं उसको

    बनाऊ और यादें उसके संग ..

    फ़िर सोचा वो बिजी होगा…

    होगा आपने यारो के संग ,

    उठा रखा था फोन हाथ मे…

    रख दिया सोच कर अब मैं नहीं रहा उसका दोस्त पुराना।

    कभी वो भी तो मुझे याद करें, उठा कर फोन मुझसे बात करे।

    नौकरी लग गई है उसकी मानता हूं,मैं भी तो उसकी याद में राह ताकता हूँ।

    चलो माना मै याद नहीं हु उसको ,मिलने की कोशिश करें वो मुझसे ऐसी ओर बात नहीं है मुझमें ।

    हर रोज मै ही क्यों सोचूं उसको उसको भी तो चाय याद होगी

    वो रात याद होगी…. ठंडी के मौसम की बरसात याद होगी….

    उसके लिए बस स्टॉप गया छाता लिया और उसे दिया

    थोड़ा वो भीगा थोड़ा मै ….ओर फिर चाय का कप लिया ।।

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