सहेज लेती हूं घर के कोनो को
मकरियो के जालों से भी घबराहट नही होती
पर्दो पे जमी धूल भी चेहरे पे आ जमे,
तो मन व्याकुल नहीं होता,
बर्तनों की झन्नाहट से भी , परहेज़ नहीं
महफिल की रौनक बनना भी जानती हूं
उदास चेहरे पे मुस्कुराहट की वजह बनना भी बखूबी आता है,
ताल मेल का समावेश तो मानो मेरे रगों में प्रवाहित हैं
जानती हूं बुजुर्गो के दिल तक जाने का रास्ता,
वो हर तरकीब जानती हूं, जो दिल को मोम करती हों ,
जानती हूं हवा का रूख अपनी तरफ़ मोड़ना
जानती हूं दूसरो की तकलीफ को अपनाना,
नहीं जानती तो बस विश्वास करना,
नहीं जानती निर्भर होना,
नहीं जानती खुद को सौप देना,
नहीं जानती तानो पे चुप हो जाना,
विश्वास का टूटना हृदय में उमड़ती,
हर भावना पे अंकुश लगाना जानता है,
फिर से भावनाओ के कुचले जाने का डर,
क्या जीवन में कभी कम हो पायेगा?
बस ये नही जानती……
हर संवेदनाओं को माथे लगाना भी जानती हूं,
जानती नही हूं तो बस, विश्वास करना!
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