भारत का वीर पुत्र
मुगलों का,आफगानों का,
आतंक काफी बढ़ रहा था,
समाज पर कलंक लग रहा था,
प्रजा पर अत्याचार बढ़ रहा था ।। १ ॥
मर्यादा तो सबने लांघ दी,
मान-सम्मान की बात अलग,
अपनों ने ही किया विश्वासघात,
औरों की तो बात अलग ।। २ ॥
आहुति देने को तयार खड़ा यौवन था,
जौहर करना तो अभी बाकी था,
ढल रहा अभिमान का सूर्य था,
इतिहास नया रचना बाकी था ।। ३ ॥
जिसका घोड़ा बड़ा स्वाभिमानी था,
मेवाड़ की धरती से आया वह फरिश्ता था,
जिसे अकबर कभी ना हरा सका था,
वही भारत का वीरपुत्र, महाराणा प्रताप था ।। ४ ॥
-शैलेश त्रिपाठी
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