एक सिगरेट ही तो है जनाब जिसने कभी छुड़ा नही मुझे
वरना मेरी हालत देख के तो लोग मो फेर लेते है
एक सिगरेट ही तो है जनाब जिसने कभी रुलाया नही मुझे
खुद जलती रही बेसक मगर मेरे आशु गिरने नही दिए
एक सिगरेट ही तो है जनाब जिसने वफा के वादे नही किए
वो जलती रही आखरी सास तक मेरे सुकून के लिए
एक सिगरेट ही तो है जनाब जिसने कभी शिकायत नही की
निभा भी रही है तो बड़े प्यार से के मेरा दम ना निकले
जब भी मेरे कमरे से दुवा उड़ा समझो राख सिगरेट की थी जल में रहा था
तुम जो निभा सकी वो वादे अब वो सिगरेट निभाती है
रोज खुद को तबा कर मेरी बारबर्दी याद दिलाती है
जीने की दुवा करती है मरने के रस्ते ले चलती
ये कैसी म्हेबोबा है मेरे दिल में गर करने के खुद जलती हे
धुओ में दुवा मांगी मेने मार जाऊं राख काम नहीं मेरे कमरे में
कोई पूछे हाल अगर मेरे कमरे का तो कह देंना की
हमने जीने की उमर में पल रखे है सबर सर सोक मरने के
उसने कहा था कि सिगरेट छोड़ के देखो जिदंगी कितनी हसीन होगी
किया पता था तेरे बाद ये मेरी दूसरी म्हेबोब होगी
अब साम -ए- शराब है हम नामे- बदनाम है अब तेरी याद में जो जलाई थी आगरी सिगरेट मेरी जान वो भी तेरी त
रह मुझे मरने में ना काम है
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