हिंदी में रस है, अलंकार है..
हिंदी मेरे विचारों का श्रृंगार है।
क्रोध हो, ममत्व हो,
गम हो, चाहे मुस्कान,
यही मुझे पूरा करती है..
हिंदी मेरे हर भाव की अभिव्यक्ति है।
सुरभि चंदेल
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हिंदी में रस है, अलंकार है..
हिंदी मेरे विचारों का श्रृंगार है।
क्रोध हो, ममत्व हो,
गम हो, चाहे मुस्कान,
यही मुझे पूरा करती है..
हिंदी मेरे हर भाव की अभिव्यक्ति है।
सुरभि चंदेल
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