ऐ जिंदगी तुझे तेरी ठोकरों पर बड़ा गुरूर है,
पर हारना मुझे भी ना मंजूर है,
तेरी ठोकरों के पत्थर बटोर कर,
इक ऊंची इमारत बनाऊंगा,
तू कर लाख कोशिशें मुझे गिराने की
मैं हर दफा उठ कर दिखाऊंगा
मैं हर दफा उठ कर दिखाऊंगा।।
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ऐ जिंदगी तुझे तेरी ठोकरों पर बड़ा गुरूर है,
पर हारना मुझे भी ना मंजूर है,
तेरी ठोकरों के पत्थर बटोर कर,
इक ऊंची इमारत बनाऊंगा,
तू कर लाख कोशिशें मुझे गिराने की
मैं हर दफा उठ कर दिखाऊंगा
मैं हर दफा उठ कर दिखाऊंगा।।
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