कभी तन्हा बैठो पत्तों की तरह
हल्की सी हवा से उड़ कर देखो
कभी तेज़ चिलमिलाती धूप में तुम
एक टुकड़ा बर्फ सा बनकर देखो
किसी की जिंदगी में एक मीठा प्याला
चुस्की के मज़े कभी बनकर देखो
हजारों की भीड़ में खड़े होकर
कुछ अनचाही बातें सुनकर देखो
बिन पन्नों के कविता लिख कर
मन को ज़रा सुनाकर देखो
जिंदगी हसीन है
कई कमियों के बावजूद भी
कमियों में जरा तुम जी कर तो देखो
आज आइना ले आयो देखो जी भरके
पर कभी खुद का अक्स बनाकर तो देखो
तुम तुम हो
तुम बनकर तो देखो
हम खुश है जरा समझकर तो देखो!
Khushi
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