‘रजनी बाला’-तारों भरे आसमान की एक अनूठी कल्पना…🖊️ कनिष्ठा शर्मा

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    12th September 2024 | 3 Views | 0 Likes

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                       “

                                  देखा मैंने इक बाला को”

    देखा मैंने इक  बाला को ,

    बड़ी सलोनी इक बाला को

    उसकी चुनरी पर प्यारे-प्यारे,

     जड़े हुए थे लाखों तारे,

    उसे पल जब मैं बाहर आंगन में😌💤

     लेटी थी होकर बड़ी उदास

    तभी अचानक मेरी नजरों ने

    दिखा दिया मुझको आकाश,

    जब मैंने देखा अंबर को,

    रजनी बाला  झूम रही थी 🌌

    ओढ़े अपने उज्जवल चुनर को।।

    न जाने मुझको लगा क्यों ऐसे

    वह मुझे बतिया रही थी जैसे

    बड़े प्यार से उसने मुझको

    चुपके से यह बात कही

    मेरे संग खेलो ना दीदी ,

    क्यों खोई हो तुम ऐसे कहीं?

    अगर तुम्हें मेरे यह तारे

     लगते हैं बड़े प्यारे प्यारे,🌠🌠🌟💫🌌

    अगर इन्हें तुम छूना चाहती

     या हाथ में लेना चाहती

    तो मत हो तुम कतई उदास

     सुनो ध्यान से तुम्हें बताऊं

     एक राज की बात यह खास।

    जब उठो गोद से तुम निंदिया की,

    तब जाना बाग में भागी भागी,

    बाघ की हरी हरी घास पर,

    और फूलों की पंखुड़ियां पर,🌺🌹🌷

    तुम देखोगी सारे सितारे💦

    बन गए हैं  मोती प्यारे प्यारे,

    तब तुम उनसे खूब खेलना,

     हाथ में लेकर उन्हें चूमना।

    मुझको उसे पल कुछ ऐसा लगा,

    मानों दुनिया का सारा खजाना,

     केवल मेरे हाथ लगा।💰💰💲

    तभी समीर के एक झोंके ने

    सिहरा दिया मुझको ऐसे,

    मानो मां की कोमल स्पर्श ने

    जगा दिया मुझको जैसे।।🤗

    🖊️– कनिष्ठा शर्मा

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