जीवन एक रिश्ता हैं , एक सोच फरिश्ता हैं ,
तेरे नयन में दिखता दर्पण , सब कुछ तुझे अर्पण भाग्य विधाता |
पिता की जादू की झप्पी में कुछ तो बात हैं ,
यार को सीने से लगाने मे गम चला जाता , न होती ममता की कोई जात |
होठों में लब्ज नहीं , लिखते वक्त टूटी कलम की नींव ,
परन्तु मेरा विश्वास अटूट , मैं और परमपिता एक |
हमारी दृष्टि से निमित हमारी सृष्टि ,
अपनो के पास पूरी होती तेरे दर्शन की आस , भरोसा है सब कुछ परोसता |
आशा की किरण दस्तक दे रही ,
मौत के बाद नई जिन्दगी की धड़कन पकड़ रही रफ़्तार सिर्फ तेरे विश्वास से |
– टिशा मेहता
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