जमीन पर रहकर आसमान को पाया है…
हर किसी के मुकद्दर में कहां, मैने जिस मां को पाया है…
उसके आंचल में फूल सा आराम पाया है….
उसकी हर दुआ में मेरा ही नाम आया है..
हर किसी के मुकद्दर में कहां , मैने जिस मां को पाया है
मेरी हर इबादत में बस उसी का तो नाम आया है …
भगवान ने धरती पर उसके रूप में खुद को दोहराया है …
मुझसे कोई चाह नहीं उसे, उसने मुझे बेवजह चाहा है
हर किसी के मुकद्दर में कहां मैने जिस मां को पाया है।
सब हमें देखकर खुश नही हो सकते , मां — पापा ने यह भी समझाया है,
इतना मुझे किसी से और से मतलब नहीं ….
जितना मैने मां को चाहा है ….
वो ही है प्रथम गुरु मेरी , उसी ने सब सिखाया है …
मैं आज जहां भी हूं , सब उसकी मेहनत का ही रंग लाया है …
हर किसी के मुकद्दर में कहां, मैने जिस मां को पाया है।
~ YASHI ANBHIGYAA 🍁❤️
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