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तू धर्म द्रोही कहलाएगा।

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    12th September 2024 | 6 Views | 0 Likes

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    तू कालनेमि हे कुल नाशक, 
    तू राम द्रोही हे धर्म घातक।
    तुमने हनु को बदनाम किया, 
    हे धरम द्रोही, तू अभिमानी।
    तू कर कुतर्क, तू गाल बजा,
    है अज्ञानी ! बस गाल बजा ।
    कितना विष, बमन किया तूने?
    माता को बहन किया तूने।
    तू कुलसित है, तू गाल बजा।
    तू कालनेमि हे कुल घातक ,
    हे कुल द्रोही हे कुल पातक ।
    मां ने तुझको है जनम दिया, 
    उस कोख से तूने है छद्म किया ।
    रसूल को जो तू जपता है,
    कब से मुस्लिम, बस ये तू बता?
    तू छपरी छाप, तू छपरी है
    तू धरम द्रोही, तेरी जात वही,
    ब्राह्मण कुल का कुलघाती है ।
    तू मुंतसिर ही रख खुदको,
    शुक्ला के लायक, तू है ही नहीं,
    शुक्ला तू हो भी नहीं सकता,
    हिंदू भी मत बोलो खुद को,
    तू मुंतसिर पहचान तेरी,
    तू कहता है भगवान नहीं ?
    हुनमान कोई अवतार नहीं,
    वो भक्त केवल, भगवान नही?
    तूने भगवान किया हनु को,
    तेरी हस्ती क्या, तुझे भान नहीं?
    है अहंकारी, तू बाक कपट,
    तू राम द्रोही , तू शिव द्रोही
    तू धर्म द्रोही , तू कुल द्रोही
    मुंतसिर ही रख खुदको,
    ब्राह्मण के लायक तू है ही नहीं।
    रावण जो खुद ब्रम्हण भी थे,
    वो राम द्रोही, शिव प्रेमी थे,
    तू राम का , ना शिव का हुवा,
    न कुल का हुवा, न धर्म का ।
    आदिपुरुष शिव पर्यवाची,
    इतना भी नहीं जो जाने तू,
    तेरी मिट्टी से जो ढोंग किया ।
    तू मिट्टी में मिल जाएगा,
    तू कालनेमि तू कुलघाती,
    तू धर्म द्रोही कहलाएगा।
    तू धर्म द्रोही कहलाएगा।
    हे मुंतसिर, तू धर्म द्रोही कहलाएगा।।

    हरिओम शरण

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