मिट्टी से जोड़े अपने सपने
छोटे-छोटे, रंग-बिरंगे अपने।
नन्हे हाथों की मेहनत प्यारी,
हर कोने की छटा है कितनी न्यारी।
छोटा सा दरवाज़ा, छोटी सी दीवार,
खुशियों से सजा वह छोटा सा संसार।
पत्तों का परदा ,फूलों का झूमर,
घरौंदे में सजी एक नार ,ओढ़े लाल चूनर।
बारिश में कभी बहे जो पानी,
फिर से बनाएं, न रूके कहानी।
इठलाती धूप में सजा सा आंगन,
सपनों का घर हो जैसे रौशन।
मिट्टी का घरौंदा, मन का खेल,
सिखाए मेहनत और साथ का मेल।
बचपन की यादें, वो मधुर मिठास,
घरौंदे में बसा इक मधुर एहसास।
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