अवधि

    Boring Bird
    @Boring-Bird
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    13th November 2024 | 1 Views | 0 Likes

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    तुम वेदनापूर्ण अतीत, 

    तुम नीरस आज, 

    तुमको जाने बिन कीतने गज चले? 

    नापे तो नही, पर कदम तिलमिलाए जरुर

    छतनारी डाली सी कई बार।

    तुम बिन विचलित 

    रहा मन का मिज़ाज,

    तुम बिन शुष्क 

    रहा ऋतुओं का आलिंगन,

    तुम बिन बासी रहा जिवन रुपी बाग।

    कोहरे से सने पत्तो पे 

    पिघलते ओश बन गये तुम्हारे अंश्रु,

    या काली घटा के समीप 

    वायुमंडल में व्यक्त हो गये?

    किस पर्वत का लिवाश बन गई

    तूमहारी र्मम छवी?

    किस फिके नदी में सम्मिलित हो गया

    तूमहारा निर्लोभ अंश?

    कहां वीलूप्पत हो गयी तूमहारी निर्मल कल्पना?

    अवधि तुम कहा हो? कैसी हो?

    कब आई और कब चली गइ?

    कीसी ऊंचे धराधर पे खीले  

    ललित बुरांस की तरह।

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