समुंद्र गहरा है या यह रात गहरी है
इसको समझना भी एक बड़ी पेहली है
अगर मिला मौका तो पूछ लूं उन मछलियों से
कितना लंबा समय लगा तुमको तल तक जाते हुए
कितनी घबराहट हुई वापिस आते हुए
क्या? तुमको भी डर लगा कि समुंद्र की सतह से वापिस ऊपर ना आ पाई तो?
जैसे मुझे डर लगता है अगर यह रात मेरे में समा गई तो?
ऊपर आते समय अकेलेपन का कैसा एहसास हुआ?
रात के अकेलेपन की तरह क्या उसने भी अपने हवस भरे हाथो से तुम्हारी रूह को छुआ?
क्या त समुंद्र के उपर आने की कोशिश बीच रास्ते में छोड़ दी
जैसे सुबह के इंतजार में सांसों ने उम्मीद छोड़ दी
Comments