लौट आ

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    4th October 2024 | 7 Views | 0 Likes

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    लौट आ, मेरे मानव, अब लौट आ

    अपने खेत खलियानों में लौट आ

    ये देव और दानव के रूप त्याग

    अब तू लौट आ ।

    बस मेरे मानव लौट आ ।

    वो धरती, वो वन,

    वह तेरे संग खेलते शावक

    सब तुझे पुकार रहे

    ओ मेरे मानव लौट आ ।

    तू ही राम-रहीम

    तू ही कृष्ण-करीम ।

    तू ये मंदिर, मस्जिद,

    गुरुद्वारे, गिरजाघर सब की

    दहलीज पार कर

    अब तू लौट आ ।

    उन खलियानों में

    जहाँ भूल जाते महजबों के रंग

    बस कर्म में ही बस जाते मन

    रहते हम मद, मस्त, मगन ।

    जहाँ सखा की थाली

    मालपुंओं से भर

    संतुष्ट हो जाते हमारे मन

    उस चमन में लौट आ ।

    ओ मेरे मानव, लौट आ ।

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