Creation 697693

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    14th November 2024 | 3 Views | 0 Likes

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    चलो हंसने की कोई, हम वजह ढूंढते हैं,

    जिधर न हो कोई ग़म, वो जगह ढूंढते हैं !

    बहुत उड़ लिए ऊंचे आसमानों में यारो,

    चलो जमीं पे ही कहीं, हम खुशियाँ  ढूंढते हैं !

    छूटा संग कितनों का ज़िंदगी की जंग में,

    चलो उनके दिलों की, हम गाँठ खो लते हैं !

    बहुत वक़्त गुज़रा भटकते हुए अंधेरों में,

    चलो अँधेरी रात की, हम सुबह ढूंढते हैं !!!

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