“यादें”
मुझे याद है अभी तक, मम्मी का वो रोटी बनाना
मुझे याद है अभी तक, वो मेरा स्कूल से आना
आकर के मम्मी के सीने से लिपट जाना
मुझे याद है अभी तक, वो दादी का ताना
क्या करेगी पढ़ कर आखिर है तो रोटी बनाना
मुझे याद है अभी तक, वो गुड़ियों की शादी रचाना
रिमझिम होती बारिश में ,अपनी कश्ती को चलाना
मुझे याद है अभी तक , वो घर-घर खेलना
जिसमें यूं अचानक छोटे से बड़े हो जाना
मुझे याद है अभी तक ,मेरा बचपन खो जाना
सहसा ही पापा की हिदयतो का बढ़ जाना
मुझे याद है अभी तक, मम्मी की बेवजह चिताएं और दादी की नसीहतों का बढ़ जाना
काश! आ जाए फिर वही बचपन जिसे ढूंढ रही हूं रोजाना।
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