दुश्मन है क्या इंसान का
क्या है पता इंसान को?
इंसान ही इंसान को इंसान ना समझ सका
क्या है खबर इंसान को?
अहम तेरा, अहम मेरा;
कयामत ये कैसा घिरा|
हमदर्द बचा ना हमसफर बचा;
इंसान ना समझ सका
संवाद या विवाद है;
फर्क ना समझ सका|
जीत है या हार है;
तय ना ये कर सका|
समझ सका इंसान, लेकिन;
समय की मार के तले|
समय ने ऐसा दाव खेला;
प्रलय भी खेल ना सके|
इंसान तू ये जान ले|
दुश्मन को तू पहचान ले|
है आंतरिक, ना अन्तरिक्षय;
इस वाद को तू बांध लें|
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