भूलना हो तो भूल जाओ
याद रखके क्या होगा।
मैं बहुत सामान्य घर की है
भूल करके जनम लिए है।
अन्दर बाहर कोई चमक नहीं है
मैं एकदम मूर्ख।
उदासीनता के साथ जीवन बिताने लगे
एकदम अकेला अकेला।
याद रखने का समय कहा है तुम्हारा
व्यस्तता के साथ हो तुम।
अनजान को जानने से पता चला
ऐसा मूर्ख है मैं।
कितने दिन और बाकी है, जीवन बिताने का खेल
खत्म होने के बाद जाना पड़ेगा।
तो किसलिए नया बन्धन?
यह क्या कम मिला।
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