के मोहब्बत गेहरी गलत शक्शियत से हुई थी उनको
जो खुद मोहब्बत नहीं करता वो भला उनकी मोहब्बत को कैसे लौटाता
जिसका खुद दिल टूटा और तोड़े हो कई दिल, वो आखिर कैसे भला उनको
खुद अपने दिए हुए गम के समुंदर में भला कैसे डूबाता
तो कर दिया दूर हमने उनको खुद से यूं
कि अब चाह कर भी कभी मुड़ कर न देखेंगे वो हमको यूं
हां माना कि ए उस गम का दर्द कम नहीं था
पर उनके आगे भविष्य में मुस्कान देख कर ये कम्बक्त दिल खुश बहुत था
वोह रोयेंगे शायद आज, शायद हमको कोसेंगे भी
समगर सेह लेंगे थोड़ी नफरत अगर वही देगी उनको खुशियां भी
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