Bhavishya ka bhay

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    12th September 2024 | 7 Views | 0 Likes

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    ये कैसा भविष्य है जिसे हम गढ़ रहे हैं ?
    ये सच है ,की भविष्य से सब 
    मन ही मन डर रहे हैं |
    भविष्य जिसमें भगवान नहीं 
    कोई मान सम्मान नहीं 
    बचपन जैसा बचपन नहीं 
    श्वास होगी पर जान नहीं
    भविष्य जिसमें भरोसा नहीं 
    भविष्य जिसमें भाव नहीं 
    शोर होता गली गली पर 
    कहीं कोई आवाज़ नहीं 
    कौन है, जिसको खुद पर गर्व है ?
    कौन है? 
    कौन है जो नहीं समय से हरा है ,
    नहीं किस्मत का मारा है |
    कौन है, जिसने न्याय का घूंट पिया हो, 
    जिसने जीवन को भरपूर जिया हो ? 
    पढ़ लिखकर , लायक बन कर भी 
    अन्याय होते देखते हैं 
    अपनी ही भावनाओं से डरते हैं हम
     काम बस वही करते हैं हम 
    जिस पर कोई सवाल न हो 
     कभी कोई बवाल न हो 
    हाँ सब जानते हैं की , है क्या सही गलत 
    पर क्या जब तक चोंट खुदको न लगे 
     दर्द किसी और का समझते हैं हम 
    याद कीजिए जब भरी सभा में महिला का अपमान हुआ था 
    सज़ा एक- एक को मिली थी 
    अधर्मियों का सर्वनाश हुआ था
    आज हर गली में हम
     नए सर्व्नाशों की अनेकों भूमिकाएँ गढ़ रहे हैं 
    ये कैसा भविष्य है जिसे हम गढ़ रहे हैं ?

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