यह खुशी की बात है कि स्वच्छ और स्वस्थ राष्ट्र के लिए गांधी जयंती से एक दिन पहले शुरू किए गए स्वच्छजंलि कार्यक्रम को पूरे देश में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। 14 करोड़ की आबादी वाला देश आज धरती और आसमान पर सफलता की नई कहानी लिख रहा है। तकनीकी उन्नति के नये आयाम हमारे सामने हैं। लेकिन हमारे देश में स्वच्छता के प्रति आम उदासीनता चौंकाने वाली है। निस्संदेह, हमारे पर्यावरण में स्वच्छ हवा, पानी और भूमि का होना हमें स्वस्थ बनाता है। स्वस्थ शरीर किसी भी राष्ट्र की बहुमूल्य संपत्ति है। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है और कोरोना महामारी के दौरान जान-माल की हानि हुई है, उसने स्वच्छ और स्वस्थ जीवन के महत्व को उजागर किया है। हमारा स्वास्थ्य निश्चित रूप से हमारे स्वच्छ पर्यावरण पर निर्भर करता है। स्वच्छता के अनुष्ठान से ही हमारी हवा और पानी शुद्ध होते हैं। जिसके लिए देश के सार्वजनिक जीवन में स्वच्छता की संस्कृति का विकास एक अनिवार्य शर्त है। मजेदार बात यह है कि आज भी आम आदमी की मानसिकता यही है कि सड़क पर चाहे कुछ भी हो, हमारा घर साफ रहना चाहिए। अपने घर के साथ-साथ सार्वजनिक स्थानों, सड़कों, बस स्टैंडों, रेलवे स्टेशनों, पार्कों, पर्यटन स्थलों को भी साफ-सुथरा रखना जरूरी है।
Comments