मन और मौन दोनो का तजुर्बा बेमिसाल है
शब्दों की सिलवटों ने एहसास छुपाया बेहिसाब है
दुनिया तुझे मिला जो तूने चाहा हरदम
क्योंकि मन है मेरा बेज़ुबान हरकदम ll
हर समझोता आम बन गया
हर समझ ने तजुर्बा ही गिनाया
मौन जब तक हैं लब ये हमारे
दुनिया में मिशाल बन गए
मन ने ज़ुबा जो खोली कत्लेआम हो गए ll
_Mou
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