ये बारिश रुक ही नहींं रही है |

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    12th September 2024 | 4 Views | 0 Likes

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    ये बारिश रुक् ही नही रही है .. 

    ये बारिश है कि रुक ही नही रही है ,  
    और बादल देखो उड़े चले आ रहे हैं … 
    ना जाने कब से बरस रहें हैं, ये इतना भर कर पानी कहाँ से ला रहें हैं .. 

    पहाड़ भी पानी रिस रिस कर दरकने लगे हैं .. 
    पहाड़ टूट रहें हैं, ज़मीन धस रही है, नदी उफान पर है … 

    क्या कुछ गलत हुआ है हमसे .. ? 
    जो ये प्रकृती हमसे कह रही है !! 
    अभी बिना देर करे इन आवाज़ों को सुनना होगा ..
    और गर ना सुना अभी , तो इन  आपदाओं को, अपनी गलती मान कर चुनना होगा .. 

    देखो, ये धरती परेशान है, जहाँ बहती थी वो नदी लगे थे वो पेड़ , उन्हे ही काट कर हमने बना लिये अपने लिये नये मकान हैं .. 

    नदी का रास्ता हमने बदला है, जंगलओं से बहती नदी को सहर की तरफ हमने धकला है .. 

    अब परेशांन हम ख़ुद हैं .. 
    मकान बह  रहें हैं, मन्दिर डेह रहें हैं, नदी पे बनें वो पुल, ना जाने विनाश की कितनी कहानियाँ कह रहें  हैं. . 

    ये सब अभी रोकना होगा, किसी और को नहीं ख़ुद को टोकना होगा .. 
    प्राकृती से इतनी छेड छाड़ नां करें .. 
    जंगल को जंगल और पहाड़ को पहाड़ ही रहने दे , बारूद लगा लगाकर सुरंगे ना बनाए इन  पर्वतों में..
    वरना ऐसी विनाश लीला होगी. जिसका ऊपर वाला ज़िम्मेदार ना होगा .. . 

    धन्यवाद.. 🙏
    प्रियंका

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