एक समय की बात है, एक गांव में एक जादुई तालाब था। यह तालाब अपार सुंदरता के साथ भरा हुआ था और उसका पानी अद्भुत नीला रंग का था। गांव के लोग इस तालाब के बारे में कहावतों और किस्सों में सुना करते थे। उन्हें लगता था कि इस तालाब में जादू छिपा हुआ है और जो भी इसे छूता है, उसे अनहोनी की सजा भुगतनी पड़ती है।
गांव के एक बच्चे का नाम राजू था। वह बहुत नादान और खुशमिजाज था। उसके मन में जादू के प्रति बहुत उत्साह था और वह तालाब की सच्चाई को जानने के लिए उसे छूने का सोच रहा था।
एक दिन, जब रात अपने अंधेरे आँचल से गांव को ढक रही थी, राजू ने जादुई तालाब की ओर रवाना हो गया। उसने तालाब की ओर धीमे धीमे कदम बढ़ाए और धीरे-धीरे पानी में चले गए। पानी नीला रंग का था और चमक रहा था जैसे कोई हजारों मणियों से बना हो।
राजू ने अपना हाथ तालाब के पानी में डाला और चूहों की तरह तालाब में तैरने लगा। उसने देखा कि कोई भी अनहोनी नहीं हुई। यह देखकर वह बहुत हैरान हुआ। राजू ने तालाब के पानी को चखा और वह स्वादिष्ट और मधुर था। इसके बाद राजू ने अपने छोटे भाई को बुलाया और उसे तालाब में तैरते हुए देखने के लिए कहा। राजू और उसका भाई खुशी से झूम उठे और उन्होंने एक साथ तालाब में खेलना शुरू कर दिया।
तब राजू ने देखा कि तालाब के गहरे पानी में कुछ सोने के तारे तैर रहे थे। वह उन्हें निकालकर देखने लगा और आश्चर्यचकित हुआ कि ये सचमुच में सोने के तारे थे। राजू को बहुत खुशी हुई और वह उन्हें अपनी जेब में रख लिया।
दिन बितते गए और गांव के लोग तालाब के बारे में राजू की कहानी सुनने के लिए आए। राजू ने सबसे कहा, “यह तालाब जादू का नहीं है, यह तो सिर्फ एक सामान्य तालाब है।” उसने अपनी जेब में सोने के तारे दिखाए और कहा, “लेकिन मेरे पास तालाब से मिले जादुई सोने के तारे हैं!” सब लोग चौंक गए और राजू की बातों को गौर से सुनने लगे।
राजू ने बताया कि तालाब में जादू नहीं है, बल्कि ये सोने के तारे वहां गिरे हुए थे। वह तालाब इसलिए जादुई लगता था क्योंकि वहां के पानी में छाया हुआ था और ये तारे चमकते थे। लोगों ने राजू की बातों को समझा और उन्हें बधाई दी।
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