थिरक- थिरकर मैं चलूँ.....!!
थिरक- थिरकर मैं चलूँ, चाँद से उसकी चाँदनी को बटोर लूँ कसकर तुम्हें मैं अपनी बाहों में भर लूँ और खुद से दूर ना जाने दूँ वर्षो से तुम बिछड़े थे मुझसे, मिले हो आज वो भी इतने वर्षो बाद खफा क्यो थे मुझसे जरा ये तो बतला दो , हुई क्या थी मेरे से भूल जो चले गए थे तुम इतनी दूर माना रूह… Read More »थिरक- थिरकर मैं चलूँ…..!!
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