बेहतरीन ग़ज़ल:- गमों का समंदर छिपाने से पहले

    HARIOM SULTANPURI
    @HARIOM-TIWARI
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    0 Likes | 6 Views | Sep 12, 202483706 | 3093

    ग़ज़ल

    ग़मों का समंदर छिपाने से पहले। 

    वो खुद रो रहे थे हँसाने से पहले। 

    नहीं ख्वाब मीठे दिखाओ हमें तुम। 

    ये कड़वी हकीकत बताने से पहले। 

    जो दीपक जला है अंधेरा मिटाने।

     उसे मत बुझा भोर आने से पहले।

     बहुत ही जरुरी है काँटे हटाना।

    चमन में नए गुल खिलाने से पहले।

     सजा कर के मुस्कान हौंठो पे रखना।

    खुशी को सभी में लुटाने से पहले। 

    बिछाए हुए जाल सब काट देना।

     कफ़स के परिंदे उड़ाने से पहले।

     छिपा उसने आँसू रखे अपने शायर ।

    हमें छोड़ कर दूर जाने से पहले। ****