मेरी आँख में हैं दो आँसू,
एक तेरा, एक मेरा है,
थोड़ी दूर तक चल लो साथी,
बस थोड़ी दूर अँधेरा है..............
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हाँ तेरे पाँवों में छाले,
आँखों में जलते हैं जाले,
हाँ मज़दूरी की मेहँदी है,
रंग बदन पर काले-काले,
हाँ तेरे नाख़ून भी सारे,
टेढ़े-मेढ़े से हो बैठे,
जिसको तेरे घाव दिख गए,
भीतर बाहर सब रो बैठे,
रो बैठे आशाओं के दीपक,
स्वप्न सुखों के सब धो बैठे,
धुला हुआ सब कोरा सूना,
सूने गले में स्वर खो बैठे,
हाँ जो तेरे पंख जले हैं,
दोष ये सारा मेरा है,
बस थोड़ी दूर तक चल लो साथी,
थोड़ी दूर अँधेरा है..............
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हाँ माना मैं इंसान नहीं हूँ,
लेकिन मैं बेजान नहीं हूँ,
दर्द समझ आता है मुझको,
इतना भी अज्ञान नहीं हूँ,
तेरे हर बेहाल हाल की,
ज़िम्मेदारी मेरी है,
तुमने मुझको रोका था,
हाँ ग़लती सारी मेरी है,
तुम पछताते हो मेरे संग,
दोषी खुद्दारी मेरी है,
जीत गए हैं सारे मुझसे,
क़िस्मत हारी मेरी है,
तुम बिन शायद मर जाऊँगा,
सोचो कितना डर जाऊँगा,
मैं तो अब ही डरा हुआ हूँ,
डर से पट कर भर जाऊँगा,
न जा पाऊँगा, फँस जाऊँगा,
बस उस पार बसेरा है,
घोर अमावस, दुर्जन जंगल,
अति घनघोर अँधेरा है,
मेरी आँख में हैं दो आँसू,
एक तेरा, एक मेरा है................
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