ऐसा है,
कि तुम मुझसे बहुत प्यार नहीं करती,
पर,
जितना तुम जताती हो,
उतना भी मुझे बहुत लगता है,
तो,
शायद तुम्हारे लिए वो बहुत ना हो,
मेरे लिये काफ़ी है,
फिर भी,
जो तुम्हारे लिए बहुत होगा,
वो मेरे लिए ना जाने कितना ही होगा,
शायद उतनी की ना मेरी हैसियत है,
ना मेरी क़िस्मत ही है, कोई मुझसे इतना प्यार कर ले,
जो तुम्हें बहुत लगे,
इसलिये,
तुम्हारे थोड़े से प्यार में ही रहने दो मुझे,
अपने क़रीव,
मैं संतुष्ट रहूँगा,
और तुम मुझ पर मुस्कुरा लेना,
और,
जब ऐसे ही ये जीवन ख़त्म हो जाएगा,
अगली बार,
मुझसे दोबारा कर लेना प्यार,
अबकी बार, पहले से ज़्यादा…
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