अक्सर अपने हर आलम में मेने तुझे ही साथ पाया है।
अकेले में मेने खुद से बातों में अपनी इस तन्हाई को ही पाया है।
रह गई हैं आज भी बहुत सी महफिलों की यादें,
लेकिन उन यादों को भी मेने अपनी तन्हाई के साथ गुनगुनाया है।
अक्सर अपने हर आलम में मेने तुझे ही साथ पाया है।
अकेले में मेने खुद से बातों में अपनी इस तन्हाई को ही पाया है।
रह गई हैं आज भी बहुत सी महफिलों की यादें,
लेकिन उन यादों को भी मेने अपनी तन्हाई के साथ गुनगुनाया है।
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