चंद सिक्के।

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    22nd December 2024 | 1 Views | 0 Likes

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    जब घर से निकले

    मंज़िल ढूँढने,

    तो हाथ में थे

    बस चंद सिक्के

    गुज़ारे के लिए ।

    था जोश और जज़्बा

    तो कहाँ था रुकना,

    फिर तो था

    मंज़िल का

    रास्ता तय करना।

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