आत्मा प्रयासरत है ... आत्मिक मौन को शब्दों में पिरो कागज़ की कश्ती में कलम को पतवार बना जीवन के समुन्दर की गहराई में उतर जाने के लिए ...
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मजा नहीं आया... घर में घुसते ही बाबा को किसी को फ़ोन पे कहते सुना था, मैंने अपनी ही धुन में जवाब दे दिया - नहीं अभी नहीं आया, अब तक तो आ जाना चहिये था, अभी दूर होगा शायद ,