सच की खाल,,,
गाँव के चौराहे पर रामू की चाय की दुकान थी। रामू, अपनी सादगी और सच्ची बातों के लिए जाना जाता था। पर उसी चौराहे पर, चंदू ने एक नई दुकान खोली, जहाँ वह चटपटी कहानियाँ और झूठे किस्से सुनाता। चंदू का झूठ, झाग की तरह फैलने लगा, लोगों को लुभाने लगा। रामू की सच्ची बातें, मानो पुराने कपड़े की तरह फीकी पड़ने लगीं। चंदू कहता,… Read More »सच की खाल,,,
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