ख़्वाब और हक़ीक़त
कुछ ख्वाब थे नक़्श-ए-ख़याल की तरह, कुछ हक़ीक़त बने, कुछ रह गए बस इब्तिदा, ज़िंदगी इसी दरमियान मुस्कुराती रही, कभी रोशन हुई, कभी रही बे-नूर राह। #creation #new #poem #nazm #poetry #life
कुछ ख्वाब थे नक़्श-ए-ख़याल की तरह, कुछ हक़ीक़त बने, कुछ रह गए बस इब्तिदा, ज़िंदगी इसी दरमियान मुस्कुराती रही, कभी रोशन हुई, कभी रही बे-नूर राह। #creation #new #poem #nazm #poetry #life
सिगरेट, जाम, तुम और चाँद… धत्त! ये अंधेरी रात और मेरे उजले ख़्वाब… जहाँ मैं हूँ, और तुम हो, पर मैं ख़ुद को खो जाती हूँ। #shyari #hindi #raat #nazm
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