ख़ामोशी के उजाले
जबसे तेरे साथ हूँ ना, किसी की कमी नहीं हुई है। जब भी तेरा साथ हो ना, मानो हर गलती भी सही है। जब भी तेरे साथ बैठूं, घड़ी भी गति पकड़ लेती है। जब भी तुझसे बात करूं, चेहरे में मुस्कान आती है। फिर क्या हुआ तुझे अब? क्यों तू छुप रही है? खुलकर बात करती थी ना, क्यों अब सिमटी हुई है? सपने… Read More »ख़ामोशी के उजाले
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